Abhigyan Shakuntalam (अभिज्ञान शाकुंतलम)

Abhigyan Shakuntalam (अभिज्ञान शाकुंतलम)
कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के नररत्नों में से एक थे। उन्हें संस्कृत साहित्य में मूर्धन्य कवि माना जाता है। उनकी सभी काव्य-कृतियां काव्य-मनीषियों द्वारा प्रशंसित हुई हैं। पर उनकी नाट्यकृति 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' में उनकी साहित्यिक प्रतिभा ने जो कमाल दिखाया है, यह बेजोड़ है।
जर्मन कवि गेटे के अनुसार- यदि तुम युवावस्था के फूल, प्रौढ़ावस्था के फल और अन्य ऐसी सामग्रियां एक ही स्थान पर खोजना चाहो जिनसे आत्मा प्रभावित होता हो, तí
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कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के नररत्नों में से एक थे। उन्हें संस्कृत साहित्य में मूर्धन्य कवि माना जाता है। उनकी सभी काव्य-कृतियां काव्य-मनीषियों द्वारा प्रशंसित हुई हैं। पर उनकी नाट्यकृति 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' में उनकी साहित्यिक प्रतिभा ने जो कमाल दिखाया है, यह बेजोड़ है।
जर्मन कवि गेटे के अनुसार- यदि तुम युवावस्था के फूल, प्रौढ़ावस्था के फल और अन्य ऐसी सामग्रियां एक ही स्थान पर खोजना चाहो जिनसे आत्मा प्रभावित होता हो, तí
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